केतु साधना
केतु साधना
यवि केतु सिंह राशि का हो ती व्यक्ति उरपोक और मृत्यु सांप के उसने से होती है तथा पीड़ित और मूर्ख हैं। ऐसा व्यक्ति अपनी संतान तथा स्त्री से सदेव पीड़ित रहता है।यवि कैतु तुला राशि पर हो तो अडाईसवे वर्ष के स्वत कुछ होने का मय रहता है। बह कामान्ध होकर जगह जगह अपमानित है।यदि धनु राशि मैं केतु हो तो जातक घूर्त और असत्थ बोलने बोला हॉता है? ठढ़ अपनी चालाकी, ठगी जीर कला से तो व्यक्ति गरीज, कान का रोगी होता हैं।मीन राशि का केतु हो तो मानसिक कलेंश का कारण केंतु की स्थिति है।
प्रत्येक व्यक्ति ज्योतिए विवेचन कर फलॉफिल का निर्णय नहीं कर पाता हैं+ फेसी स्थिति में यदि साधक मानसिक चिंता की स्थिति मैं केतु से सम्बन्धित एक लघु प्रयोग सम्पन्न कर लेता हैं ती उसे अत्यन्त शीघ्र अनुकुलता मिलनी जातीं है।जब भी कौरई डुस्साध्य मानसिक समस्या आकर घेर ले ऐसी उत्नझन में पढ़ जण्द कि कौ्ड गार्ग न सूझ रही. हो तथा सामान्य रूप से प्रयोग में लाए जाने के उपाय व्यर्थ सिन्द हो रहे हो तब निश्चित रूप से मान लेना चाहिए कि ऐसा. केतु की बाधां के कारण हो रहा है। 'वन्द्रमा की स्थिति अनुकूल नहोने पर मिलने बालें मानसिक कलेश एवं केतु द्वारा मानसिक सताप मैं सूक्ष्म पेद यब हैं कि केतु की बिपरीत अवस्त्रा में केतु का प्रकोप अधिक रहता है। मुकबमेबानी; पड़ासियों से अनावश्यक तनाव, कल का जो मुख्य कारक गह केतु ही माना गाया फंसे पीड़ित साधक के लिए उप्युक्त रखता हैं कि
वह शुक्रवार को एक लघु केत शांति प्रयोग सम्पत्त कर की विधि सरल एवं केंवल एक्र,दिवसीय हीं है। किन्तु इस एक दिवसीय प्रयोग में लो सफलता मिलती हैं उनकी आप तो बहुमूल्य रत्नों के धारण आदि से भी नहीं सम्भव हो पाती ।साधक स्नान आदि से पवित्र हीकर काले तिलौंप्की हरी पर दीपक जला के केतु का आवाहन करे यदि “नीली हकीक माला'से निम्न मंत्र की प्रांच माला मंत्र जप संम्भंत्र कर लेता है लो उसके जीवन में सामसिक कहीं व बाधाओं को समाप्ति स्वतः हो जती है।
मंत्र
॥ केतवे ऐं सौं स्वाहा #
यह प्रयोग एक विशिष्ट बाधा निवास्क अयोग हैं अतः इन्पको रुम्पन्न करते ्लमय इसकी. चर्चा कम ही करनी चाहिए।