औघड़ सिद्धि

 औघड़ सिद्धि



          औघड़ साधना के लिये है  पहले औघड़ सिद्धि प्राप्त करनी जरुरी होती हैं.औघड़ सिद्धि को प्राप्त नहीं करता तथतक आ्रौघड़ साधनाओ़ों में से किसी सी साधना मैं सिद्धि नहीं मिलती

               साधना विधान

                          अमावस्या की रात्रि को किसी ताजे मुर्दे की: भस्म प्राप्त पश्चिम दिशा की ओर मुख कर वह शिवलिंग रख कर उसे रौद्र रूप में स्मरण करते हुए, लगभग छः:घण्टे निम्न मंत्र जप करें, ऐसा करने पर औघड़ सिद्धि प्राप्त हो जातों हैं इस ऑधड़ सिदि को सिद्ध करने के वाद कोई भी 'घौघड़ साधना हो तो उसे सफलता मिलती ही है।

              छः: घण्टे निम्न मंत्र जप करें

             ॐ वीर भूत  नाथाय औघड़  महेश्वराय रक्ष रक्ष हूं हूं  फट

             चह  केवल वर्ष में एक दिन अमावस्या की रात्रि को  ही "करना चाहिए इससे आौधड़' - अतुलनीय बल साहस शोर पराक्रम आजाता है; इसके सिद्ध करने के वाद उनें छोटी मोती कई सिदि स्वतः प्राप्त हो जाती है


Powered by Blogger.