अघोर-गुरु-पूजन
अध्यात्म के एक रहस्यमय उपसमुच्चय को अघोरपंथ के नाम से जाना जाता है। वे अपने स्वयं के नियमों, प्रक्रियाओं और जीवन शैली विकल्पों के अनुसार जीते हैं। अघोरी का तात्पर्य अघोरपंथी साधकों से है। खाने-पीने पर पूरी तरह से पाबंदी है। गाय के मांस को छोड़कर अघोर सभी खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं। अघोरपंथ में दाह संस्कार के विशिष्ट महत्व के कारण अघोरी श्मशान में रहना पसंद करते हैं। श्मशान में साधना करने से शीघ्र फल मिलता है।