उग्र तारा सिद्धि

 उग्र तारा सिद्धि 



              उग्र तारा सिद्धि---यों  तारा साधना कई स्थानों पर स्पष्ट की गई हैं पर उग्र तारा अपने आपमें महत्वपूर्ण साघना है सौर इसके सिद्ध होने पर अन्य सभी देवियां और महादेवियां स्वतः सिद्ध हो जाती हैं ।'

                          अमावस्या की राधि को शमशान के मध्य में सर्वधा नग्त हो कर बैठ जाय और सामने ताजे मुर्द की भस्म को पानी से  गीला कर उग्र तारा की -मुरत्ति बनावे उस पर सिन्दूर  को तिलक करें और रुबयं के भी सिन्दूर को लिलक करें, इंसके बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख कर काली हकीक माला से निम्न मंत्र को ५९ माला मंत्र जप करें ।

                            मंत्र

                ॐ ह्रीं ह्रीं उग्रतारायै  क्रीम क्रीम फट

              जब ५१ माला पूर्ण हो जाय तब उग्र लारा मूर्ति को दक्षिण दिशा की और किसी पेड़ की छाया के नीचे रख कर विश्राम करने की प्रार्थना करे ।यह 21 दिन की साधना है और इसमें लित्य उग्र तारा की नवीन मूर्ति बना कर उसकी प्राणप्रतिष्ठा कर पंचोपचार पूजन  उसके बाद  मंत्र जप सम्पन्न किया जाता है ।उग्र तारा सिंद्ध होने पर साधक "महासिद्ध'”कहलाता है, और उसके शरीर में समस्त देवियां और महादेवियां स्वतः, स्थित होती है .किसी भी असंभव कार्य को संभव सम्पन्न करने की क्षमता रखता हैं ।

                      वास्तव में ही यह साधना अत्यन्त महत्वपूर्ण साधना हैं जिसे उच्चकोटि के योगी ही सिद्ध कर पाते है.

 


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