खामोश यहाँ त्रिजटा अघोरी साधना कर रहे है

 खामोश यहाँ त्रिजटा अघोरी साधना कर रहे  है.

Note----काफी अघोरिओ का मानना हे  त्रिजटा अघोरी एक काल्पनिक नाम हे.


                 देहरादून से सहस्त्र धारा और सहस्त्र धारा सै १५८ मील दूर भरत पहाड़ी जिसकी.अत्यंत कठिन झौर विकेट मानों जाही है, सारा पहाड़ी बोल जंगली हिंसक पशुओ से भरा पढ़ा है झौर पहाड़ी की सबसे ऊंची चोटी  पर स्थित है महाकाल रौद्र भैरव का मंदिर, जो अपने आप में सप्राण सचेतन है, संजतन है भौर यहीं पर साधना कर रहे हैं संसार के तांत्रिक शिरोमणी त्रिजटा अघोरी .

            त्रिजटा अघोरी का नाम लेते ही शरोर में कपकंी सौ छूट जाती हैं, लम्बा चौड़ा डील डील भारी भरकम शरीर इस पर मां फुर्ती इतनी कि एक हो सांस में ऊबड़ खावड़ पहाड़ी पर दौदते हुए चढ़ जाना, शरीर मैं बज़ इतना कि दो मजबूर जवान सांडों को दोनों हांवों की मुद्दियों में पकड़ कर परस्पर भिड़ा देना, कहदावर जंगली. बकरे को. एक ही हाल में पकड़ संकड़ों फीट ऊपर- उठाल देना और बोली ऐसी कि जेसे दो भयानिक बादल पाप में टकरा कर गजनो कर उहें हों ।

 

                 पर तंत्र के क्षेत्र में  यह व्यक्तित्व अपने आप में अपराजिय है, कठिन से कठिन तांत्रिक साधनाएं सिद्ध कर रखी है, औघड़ साधनाओओं से लगाकर श्मशान सावनाओं तक में झपने साप में सपराजिय शौर सम शिस है वह सिद्धाश्रम का एक मात्र ऐसा सिद्ध योगी हैं जो केबल तंत्र के बल सिद्धाश्रम में प्रवेश प्राप्त किया है.

 


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